बसंत की हूँ पूर्वी,
एक माया हूँ अपूर्वी,
अनादी एन देखा नहीं,
मैं सूरज हूँ, पर ताप नहीं,
मैं रत का अँधेरा नहीं,
मैं स्वर्ण हूँ, गहना नहीं,
मैं मृगनयनी कस्तूरी,
अनन्य मेरी है छवि,
मैं रोशिनी की श्रेयसी,
मैं गर्व हूँ कुटुंब की,
मैं संत-नगरे वासिनी,
अनुपम, अविच्छिन्न अस्तित्व
की हूँ निरंतर तपस्विनी,
निर्संताप निः-संकोच विनम्रता
अनुपम, अविच्छिन्न अस्तित्व
की हूँ निरंतर तपस्विनी,
निर्संताप निः-संकोच विनम्रता
की हूँ अपूर्व स्वामिनी.
मैं हूँ तिमिर की चांदनी,
और भैरवी की रागिनी,
चकोर हूँ मैं चाँद की,
और दंभ हूँ मैं मान की.
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